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धर्म लोगों को जोड़ने का काम कर रहा है या बाँटने का?

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shikha

यदि आप अपने आसपास किसी व्यक्ति से धर्म का अर्थ पूछेंगे, तो आपको पता चलेगा कि कैसे लोगों ने अपने आप धर्म के नाम पर बाँट लिया है। आज के समय में, धार्मिक होने का अर्थ यह है कि आप हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई हैं। मनुष्यों को यह नहीं पता है कि सभी धर्म एक ही बात सिखाते हैं कि आपस में शांति बनाए रखें और उचित शिक्षा प्राप्त करों। धर्म का सही पाठ बहुत ही सरल है कि आप किसी चीज में विश्वास करें। यह भगवान भी हो सकते हैं या आपके माता पिता भी हो सकते हैं और यहां तक कि आप खुद भी हो सकते हैं। ऐसी किसी चीज में विश्वास न करें जो आपको इंसानियत से दूर करे। Answer Image

धर्म का विचार:

भगवान यह कभी नहीं चाहेंगे कि उनके बच्चे अपने झंडे के रंग के लिए लड़ें। वे कभी नहीं चाहेंगे कि हम केवल उनके अस्तित्व को साबित करने के लिए एक-दूसरे की हत्या कर दें। हम भगवान को मंदिरों और मस्जिदों में ढूंढ़ते हैं, जबकि भगवान तो वास्तव में हमारे दिल में होते हैं। वे कभी यह नहीं चाहते कि हम हजारों बार उसका नाम जपें। लेकिन अन्य मनुष्यों के प्रति एक सम्मानजनक व्यवहार आपको भगवान के एक कदम पास ले जाता है।

दंगे:

आज के समय में भगवान और धर्म के नाम पर दंगे करना एक आम बात हो गई है। इससे अब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। सिर्फ को ही नहीं, अब तो हमने हर धर्म को एक रंग दे दिया है। यदि आप भगवा या केसरी रंग पहनते हैं तो आप हिंदू हैं। यदि आप हरा रंग पहनते हैं, तो आप मुस्लिम हैं। यदि आप किसी खास अवसर पर काले रंग की पोशाक पहनते हैं तो आप ईसाई कहलाएंगे। हम आतंकवाद को धर्म से जोड़ते हैं। लेकिन वास्तव में तथ्य यह है कि जो अपराधों को पैदा करते हैं, उनका कोई धर्म नहीं होता है।

दोष खोजना:

धर्मों को इसलिए बनाया गया था ताकि समाज के हर वर्ग के पास ऐसा कोई भगवान हो, जिसमें वे विश्वास कर सकें। लेकिन, भगवान को ढूंढ़ने के बजाय, हम दूसरों में कमियां निकालना शुरु कर देते हैं। हम ढोंगी हैं, क्योंकि हम हर चीज के आधार पर दूसरों को परखने लगते हैं। हमारे लिए, जिस भगवान को हम मानते हैं और जो धार्मिक पुस्तकें हम पढ़ते हैं, बस वही पवित्र हैं। हम बिना तथ्य जाने दूसरे धर्मों की आलोचना करते हैं, जबकि सभी भगवान और सभी धार्मिक पुस्तकें हमें एक ही चीज सिखाती हैं। हम बस यही चीज भूल जाते हैं कि जरूरत के समय हमें दूसरों की मदद करनी चाहिये और इंसानियत को जिंदा रखनी चाहिये।

हो सकता है कि हमारे रास्ते अलग हों, लेकिन मंजिल एक ही है। अलग भगवान और अलग धर्म की इस धारणा ने हमारे बीच एक दीवार खड़ी कर दी है। लोग अलग धर्म के लोगों के साथ घुलने मिलने में संकोच करते हैं। यहां तक कि शिक्षा भी इस धारणा को खत्म करने में नाकाम रही है। Answer Image

यदि एक व्यक्ति ब्राह्मण है और उसके कई दोस्त हैं। लेकिन उसका सबसे अच्छा दोस्त मुस्लिम है तो अब क्या इस बात के कारण लोग उससे नफरत करने लगें? क्या इसकी वजह से उस धर्म के लोग उससे नफरत करने लगें? नहीं, क्योंकि वह सबसे पहले एक इंसान है। हर किसी के खून का रंग लाल होता है और अपनी मृत्यु के बाद हर कोई उसी ही मिट्टी में मिल जाता है। अपने दिल को वह चीजें न देखने दें, जो भगवान ने नहीं बनाई हैं। इस पृथ्वी पर एक ही धर्म बनाएं और वो हो इंसानियत का धर्म।

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