भारत हाइअस्ट ऑर्डर वाले तेज गेंदबाज बनाने वाला देश नहीं है, लेकिन कुछ सालों में भारत के कुछ तेज गेंदबाजों ने अपनी गेंदबाजी से शानदार प्रदर्शन किया है। एक दशक पहले भारतीय गेंदबाजों के बीच तेज गेंदबाजी का प्रदर्शन बहुत बदला है।
पिछले कुछ सालों में, भारत के तेज गेंदबाजों ने तेज गति से गेंदबाजी की है, जिसने विपक्षी बल्लेबाजों के छक्के छुड़ा दिए है। हमने भारतीय गेंदबाजों को नियमित रुप से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से गेंदबाजी करते देखा है, खासकर पिछले कुछ सालों में।
क्रिकेट में भारतीय गेंदबाजों द्वारा की गई पांच सबसे तेज गेंदे:
जवागल श्रीनाथ:
90 और 2000 के दशक में, वे उन दुर्लभ भारतीय गेंदबाजों में से एक थे जो नियमित रूप से 150 किमी प्रति घंटे की रफतार से गेंदबाजी किया करते थे। हालांकि, इंग्लैंड में हुए 1999 विश्वकप में, श्रीनाथ ने सबसे तेज गेंदबाज की थी, जिसकी रफतार 154.5 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इसके साथ-साथ शोएब अख्तर के बाद, वे टूर्नामेंट में दूसरे सबसे तेज गेंदबाज भी थे।
ईशांत शर्मा:
वर्ष 2008 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान ईशांत सुर्खियों में आए थे। उन्होंने पर्थ के टेस्ट सीरीज़ में रिकी पोंटिंग की टीम के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की थी। उन्होंने इस श्रृंखला में सबसे तेज गेंद की, जिसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया से 2-0 से श्रृंखला जीत लिया। ओवल के ऐडलेड में ईशांत ने 152.6 कि.मी. प्रति घंटे की रफतार से गेंद फेंकी।
वरुण एरॉन:
एरॉन एक प्रतिभाशाली तेज गेंदबाज हैं और वे सटीक गति और उछाल प्राप्त कर सकते हैं। उनकी एक मात्र समस्या यह है कि वे उचित क्षेत्र में लगातार गेंद नहीं डाल सकते हैं। उन्होंने कई तेज गेंदें डाली हैं और विपक्षी बल्लेबाजों को बहुत परेशान किया है। जब उन्होंने वर्ष 2013- 2014 में श्रीलंका के खिलाफ एक मैच में 152.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से गेंदबाजी की तो वे भारत के तीसरे सबसे तेज गेंदबाज बन गये।
उमेश यादव:
जब क्रिकेट में तेज गेंदबाजों की महत्वता बढ़ने लगी, तो भारत के लिए वह एक तेज गेंदबाज के रुप में उभर के आए क्योंकि वे अपने तेज गेंदबाजी से विपक्षी बल्लेबाजों के छक्के छुड़ाए और वे बल्लेबाज को पिच पर जमने का मौका ही नहीं देते हैं। अपने पहले मैच से ही उन्होंने दुनिया को यह बता दिया था कि वे अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजों के छक्के छुड़ा सकते हैं लेकिन उनकी लाइन और लेंथ ज्यादा अच्छी नहीं थी, जिसके कारण वे विपक्षी टीम को आसानी से रन दे देते थे।
उमेश के लिए गति कोई ज्यादा बड़ी समस्या नहीं थी। श्रीलंका के साथ एक दिवसीय मैच में उन्होंने 152.2 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से गेंदबाजी की। इस प्रकार वे भारत के चौथे तेज गेंदबाज बन गये।
आशीष नेहरा:
जब नेहरा ने अपने करियर की शुरुआत की तो वे काफी प्रभावशाली गेंदबाज थे और वे अपनी गति से बल्लेबाजों को बहुत परेशान करते थे। अपने करियर की शुरुआत में वे काफी मशहूर हुए और वे नियमित रुप से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से गेंद करते थे। 2003 वाले विश्वकप में उन्होंने अपने करियर की सबसे तेज गेंद की थी। (149.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से गेंद फेंकने के एक हफ्ते के भीतर ही उन्होंने 149.7 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से गेंद की।) यह वो टूर्नामेंट था, जहां नेहरा ने अपने शानदार गेंदबाजी से इंग्लैंड के बल्लेबाजों के होश उड़ा दिए थे।