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मनोदैहिक विकार क्या होता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है?

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Rani

मनोदैहिक विकार ऐसा विकार है। इसमें रोगी को दर्द होता है पर ये दर्द किसी शारीरिक कारण से नहीं होता है। इस बीमारी में दिमाग और शरीर दोनों दर्द के कारण से संबंधित होते हैं। शारीरिक बीमारी को व्यक्त करने, उसके बढ़ने या उससे छुटकारा पाने में मानसिक कारक एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसमें दिमाग (मन) और शरीर (देह) दोनों शामिल होते हैं। इसीलिए, इसका नाम मनोदैहिक विकार रखा गया है।

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नीचे मनोदैहिक विकार के कुछ प्रकार बताये गये हैं -

  1. रोगभ्रम (Hypochondria's)

  2. दर्द विकार (Pain disorder)

  3. सोमेटाइजेशन डिसऑर्डर (Somatization disorder)

  4. अनस्पेसिफाइड सोमाटोफोर्म डिसऑर्डर (Unspecified somatoform disorder)

लक्षण:

  • अवसाद, क्रोध, चिंता और तनाव मनोदैहिक विकार के प्रारंभिक लक्षण हैं।
  • शारीरिक दर्द और बीमारी मनोदैहिक विकार के परिणाम होते हैं। दिमाग शरीर को प्रभावित करता है, जिसके कारण दर्द या असंतुलन महसूस होता है।
  • आम तौर पर, अम्लता, पीठ दर्द, गर्दन दर्द, क्रोध, याददाश्त कमजोर होना इस प्रकार की बीमारी के प्रारंभिक लक्षण हैं जोकि रोगी में देखे जाते हैं।
  • अत्यधिक थकान, मूर्छित होना, मुंह सूखना, घबराहट, मतली और सिरदर्द, पसीना आना, छाती में दर्द या शरीर के किसी भी अन्य भाग में दर्द महसूस होने जैसे कुछ शारीरिक विकार हैं- ये तनाव के कारण होते हैं।
  • ट्रीमॉर्स (Tremors) या अन्य न्यूरोलॉजिकल संबंधी समस्याओं को भी मनोदैहिक विकार के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

मनोदैहिक विकार से पीड़ित रोगी भावनात्मक तनाव को छुपाने के लिए कुछ शारीरिक लक्षण दर्शाता है। ऊपर दिए गए रोगी के सभी शारीरिक लक्षण और तनाव रोगी की चिकित्सा परीक्षण रिपोर्ट या रोगी की शारीरिक परीक्षा से संबंधित नहीं होते हैं। निदान से पता चलता है कि यह कोई वास्तविक विकार नहीं है, फिरभी रोगी महसूस करता है।

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उपचार: 

मनोदैहिक विकारों का बेहतर तरीके से तब इलाज होता है जब रोगी किसी चिकित्सक के बजाय मनोचिकित्सक की मदद लेता है क्योंकि इसके मूल कारण मनोवैज्ञानिक होते हैं। नीचे उपचार के लिये कुछ ऐसे सुझाये गये हैं जोकि एक रोगी की मदद कर सकते हैं:

  1. ग्रुप थेरेपी

  2. साइकोडैनेमिक मनोचिकित्सा

  3. संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा (Cognitive behavior therapy)

  4. माइंडफुलनेस ट्रेनिंग (Mindfulness training) 

  5. व्यक्तिगत उपचार (In person treatment) 

  6. इन विवो एक्सपोजर थेरेपी

  7. इन्टेंसिव वीकेंड प्रोग्रामिंग  

  8. टेलीफ़ोनिक थेरेपी

  9. सम्मोहन (Hypnosis) 

  10. अवसादरोधी या निरोधी दवाओं का उपयोग।

संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा को सबसे सफल उपचार माना जाता है क्योंकि यह लक्षणों का विश्लेषण करके बीमारी के मूल कारणों को समझने की कोशिश करता है और रोगी को कुछ तरीके सिखाने की कोशिश करता है, जिससे मरीज इन तनावों को झेलना सीख सकता है।

सम्मोहन भी सोमाटोफोर्म रोगियों को राहत का एक अच्छा स्रोत प्रदान करता है।

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मनोदैहिक विकार को रोकना:

एक मनोचिकित्सक उन रोगियों को इस रोग से बचने के लिए कुछ सलाह देते हैं, जो इस विकार के प्रारंभिक लक्षणों का अनुभव करते हैं।

  • थकान और तनाव को कम करने के लिए काम से नियमित अंतराल पर कुछ समय का ब्रेक लें।
  • तनाव के कारणों के बारे में न सोचें और उन परिस्थितियों से बचने की कोशिश करें जिसके कारण आप तनाव महसूस करते हैं।

  • दिमाग और शरीर के बीच संतुलन बनाने के लिए उपवास को चिकित्सा के रुप में देखें।

  • तनाव को कम करने में योग और ध्यान काफी मदद कर सकते हैं और ये उन मनोवैज्ञानिक कारकों को भी कम करने में मदद कर सकते हैं जो आगे चलकर सोमेटोफोर्म विकार का कारण बनते हैं।

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