नोटबंदी पर चर्चा करने से पहले, हमें सबसे पहले इस शब्द का अर्थ समझना होगा। नोटबंदी का अर्थ है कि मुद्रा के किसी विशेष रुप पर प्रतिबंध लगा देना। यह नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू की गई थी। हम सभी इस बात को जानते हैं, कि यह पहली बार नहीं है जब भारत ने ऐसा निर्णय लिया है। इससे पहले वर्ष 1946 में पहली बार नोटबंदी की गई थी और वर्ष 1978 में दोबारा नोटबंदी हुई थी। मेरी राय में, यह इतिहास में काले धन के खिलाफ सबसे बड़ी मुहीम थी और इसने देश के अर्थशास्त्रियों को एक बड़ा झटका भी दिया।
कई कारण:
यह कदम काले धन का पता लगाने, भ्रष्टाचार को रोकने और मुद्रास्फीति की जांच करने के लिए उठाया गया था। नोटबंदी की प्रक्रिया में या तो पुरानी मुद्रा को नए नोटों से बदल दिया जाता है या फिर मुद्रा प्रवाह पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। सरकार ने कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नोटबंदी की थी।
भ्रष्टाचार की रीढ़ को तोड़ना:
आर.बी.आई के अनुसार, देश में 87% लेनदेन नकद लेनदेन हैं और इसका इस्तेमाल केवल वे लोग करते हैं, जो समानांतर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं। इसके बदले में, आतंकवादी वित्तपोषण पैदा होता है। इसका परिणाम यह होता है कि देश के विकास और प्रगति में कमी आती है।
कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर मुड़ना:
इस समय लोगों के पास 500 और 2000 के नोट उपलब्ध हैं। उनका कुल मूल्य लगभग 86% है। इसलिए, इससे राजकोषीय घाटे को कम करने और कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने की उम्मीद की जाती है। ये कैशलेस लेनदेन देश में होने वाले समग्र लेनदेन की निगरानी रखने में सहायक होता है।
नुकसान:
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार नोटबंदी के भी दो पहलू हैं। हम सभी इस संकट के साक्षी रहे हैं और इसने जनता के अनमोल जीवन को प्रभावित किया है। इससे महीनों तक जनता का जीवन अस्त-व्यस्त रहा। इससे अर्थव्यवस्था को ज्यादा बड़ा झटका नहीं लगा, विशेषकर छोटे बाजारों पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। इससे स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ा। लेकिन यह कुछ ही समय के लिए ही था। लोगों को इसकी आदत पड़ गई और उन्होंने हालात के साथ समझौता कर लिया। इसलिए, इससे ज्यादा समय के लिए फर्क नहीं पड़ा।
नकारात्मक पक्ष से परे देखें:
निश्चित रूप से, इस कदम से भविष्य में कुछ अच्छी बातें होंगी और इससे देश को भ्रष्टाचार से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। यदि हर जगह कैशलेस लेनदेन होने लगें तो हर लेनदेन पर स्पष्ट निगरानी रखने में मदद मिलेगी। आम आदमी के संघर्ष को हटाकर देखें, तो नोटबंदी के अच्छे परिणाम हो सकते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमें ऐसे निर्णयों का स्वागत करना चाहिए और काले धन को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया एक बहुत अच्छा कदम था।
देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए आम तौर पर ऐसे कदम उठाए जाते हैं। लेकिन, नोटबंदी के नकारात्मक प्रभावों के कारण देश की जी.डी.पी धीमी रही, लेकिन काले धन को रोकने के लिए और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए, हमें भारत सरकार द्वारा उठाए गए इस साहसी प्रयास की सराहना करनी चाहिए।