पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और साथ ही साथ यह अपनी धुरी पर भी घूमती है। सूर्य की परिक्रमा लगाने से मौसम और साल में बदलाव होता है, जबकि अपनी धुरी पर घूमने से दिन और रात होते हैं। यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर दे, तो पृथ्वी पर एक दिन छह महीने और एक रात छह महीने की होगी।
चूंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर देगी, तो पृथ्वी का आधा हिस्सा सूर्य की तरफ होगा, जहां छह महीने तक सूर्य का प्रकाश पड़ेगा और छह महीने तक दिन रहेगा। यदि आप लगातार इतने समय तक सूर्य के प्रकाश में रहते हैं तो कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ये क्षेत्र अत्याधिक गर्म हो जाएंगे और इससे फसलों को भी भारी नुकसान होगा। और ऐसा ही पृथ्वी के दूसरे हिस्से पर भी होगा, जहां छह महीने तक रात रहेगी, जब तक कि पृथ्वी घूम नहीं जाती और दूसरे हिस्से पर सूर्य की किरणें नहीं पड़तीं। पेड़ों को प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है और सूर्य के प्रकाश की कमी या अत्याधिक प्रकाश के कारण पेड़ों को भारी नुकसान होगा और खाद्य श्रृंखला टूट जाएगी। भोजन में कमी आने की बहुत संभावनाएं हैं।
ऐसे स्थान, जहां सूर्य का प्रकाश सीधा नहीं पड़ता है, वह स्थान लोगों के रहने के लिए उचित होंगे। तापमान सामान्य होगा और वहां फसल उगाना संभव होगा। अधिकांश जनसंख्या ऐसे स्थानों पर पलायन करना पसंद करेगी और उन जगहों पर जनसंख्या बढ़ जाएगी। इन क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों का अत्यधिक दुरुपयोग किया जाएगा और जल्द ही संसाधनों में कमी आ जाएगी।
पृथ्वी के आवर्तन से अपकेन्द्री बल पैदा होगा, जो भूमध्य रेखा पर उभार का कारण बनेगा। यह अपकेन्द्री बल पानी को पृथ्वी के केंद्र पर एकत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। जब पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर देगी तो अपकेन्द्री बल नष्ट हो जाएगा। यह माना जाता है कि इसके कारण पानी भूमध्य रेखा से ध्रुव बिंदुओं की ओर चला जाएगा। अत्याधिक पानी के ध्रुव बिंदुओं की ओर जाने से, ध्रुव बिंदुओं पर मौजूद देश जलमग्न हो जाएंगे। उन स्थानों पर रहने वाली जनसंख्या भूमध्य रेखा के निकट स्थित क्षेत्रों में जाने के लिए मजबूर हो जाएगी। पृथ्वी के केंद्र में एक विशाल भूमि का टुकड़ा बचेगा, जहां लोग रहने के लिए चले जाएंगे।
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र नष्ट हो जाएगा। हालांकि इस बात का कुछ पता नहीं चल पाया है कि पृथ्वी चुंबकीय क्षेत्र का उत्पादन कैसे करती है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि यह पृथ्वी के क्रोड और बाहरी सतह के अलग-अलग दिशा में घूमने से उत्पन्न होता है। यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमना बंद कर देगी, तो यह चुंबकीय क्षेत्र भी खत्म हो जाएगा।
कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि जब पृथ्वी घूमना बंद कर देगी, तो एक बहुत ही भयावह प्रलय होगी। उनका यह कहना का आधार गति है जिसके कारण पृथ्वी के साथ-साथ हम भी घूमते हैं। हमें यह महसूस इसलिए नहीं होता है क्योंकि हम इसके साथ घूम रहे हैं। जब पृथ्वी अचानक घूमना बंद कर देगी, तो हर चीज भूमध्य रेखा से दूर जाने लगेगी। यह वैसा ही झटका होगा, जैसा हमें तेज चलते वाहन के अचानक रुकने पर महसूस होता है। यहां फर्क बस इतना है कि पृथ्वी काफी तेज गति से घूमती है। हम इस जगह से अंतरिक्ष में तो नहीं गिरेंगे पर इससे तीव्र गति के भूकंप और विनाशकारी ज्वार आ सकते हैं।