हम सभी एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जहां वित्तीय और आर्थिक संकट के कारण हर क्षेत्र में बहुत बदलाव हो रहे हैं, जिसने हर किसी को हिला के रख दिया है। इस संकट से दुनिया भर के अमीर और बड़े बैंकों की रैंकिंग में काफी बदलाव हुए। यह विभिन्न संस्थाओं के बीच विलय के कारण भी प्रभावित हुआ, जिन्होंने पिछले 2-3 वर्षों में अमीर बैंकों की नीव रखीं थी।
चीन की अर्थव्यवस्था में आई तेजी के कारण अमेरिकी बैंकों की सामान्य प्रभुत्व खत्म हो गई। चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन गई है। इस प्रकार, अमेरिकी वित्तीय संस्थानों की प्रभुत्व की जगह अब बड़े चीनी बैंकों ने ले ली है, जोकि अब पहले स्थान पर हैं। वास्तव में, दुनिया के चार सबसे बड़े बैंक चीन के हैं।
भ्रष्टाचार और वित्तीय घोटालों ने भी अमेरिकी संस्थाओं को काफी प्रभावित किया है, जिसके कारण दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली देशों की सूची में पिछले दस सालों में अमेरिकी संस्थाओं की संख्या 6 से 3 रह गई है। हम यहां हम पांच सबसे बड़े बैंकों के बारे में बात करेंगे।
इंडस्ट्रियल ऐंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चाइना:
170 ट्रिलियन डॉलर की पूंजी के साथ, यह बैंक दुनिया का सबसे बड़ा बैंक बन गया है। दुनिया भर में इसके 3,81,000 कर्मचारी हैं। हाल ही में, इस बैंक ने स्पेन के मैड्रिड में अपनी पहली शाखा खोली है।
चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक:
इस बैंक के पास 130 बिलियन डॉलर की पूंजी है और दुनिया भर में इसके 2,91,000 से अधिक कर्मचारी हैं। इसके अलावा, इसके विकास को रोकना असंभव है, क्योंकि यह पहले से ही बैंक ऑफ अमेरिका के 16.6% का हिस्सेदार है।
बैंक ऑफ चाइना:
सिर्फ तीन वर्षों में ही इसने इतना विकास किया है कि यह सबसे धनी बैंकों की सूची में 20वें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। इसके पास 120 बिलियन डॉलर की पूंजी है।
HSBC:
लंदन स्थित हांगकांग ऐंड शंघाई-बेस्ड कॉर्पोरेशन दुनिया के बड़े बैंकों में से एक है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है। लेकिन बैंक ऑफ चाइना ने 70 ट्रीलियन डॉलर की पूंजी के साथ इस रैंकिंग में अपनी जगह बनाई। इसके पास 3,12,000 से अधिक कर्मचारी हैं।
जेपी मॉर्गन चेस:
जेपी मॉर्गन ऐंड कंपनी और चेस मैनहट्टन के विलय से इस बैंक का गठन हुआ, जो अमेरिकी संस्थाओं में से एक थी, जिसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था क्योंकि उसे अमेरिकी सरकार की बचाव योजना से 25 बिलियन डॉलर मिले थे। इसकी कुल पूंजी 60 बिलियन डॉलर है।