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डिघटन चट्टानों (Dighton Rock) पर बने रहस्यमयी प्रतीकों का क्या अर्थ है?

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Prateek

जब से मानव पृथ्वी पर आया है, तब से प्रत्येक पीढ़ी ने इतिहास में कुछ अनूठे निशान छोड़े हैं। फिर चाहे वह दस्तावेजीकरण या आविष्कार के रूप में हों या किसी बड़ी खोज के रुप में। जो भी चीज इंसानों की समझ को चुनौती देती है, वह उस चीज के बारे में जानकारी ढूंढ़ने के लिए उत्सुक और दृढ़ रहता है और यह व्यवहार इंसानों में अंतर्निहित है। ऐसे कई उदाहरण हैं और डिघटन चट्टानों पर बने रहस्यमयी प्रतीक इनमें से एक हैं, जो इंसानी समझ को चुनौती देते हैं।

डिघटन चट्टान:

आखिरी हिमयुग के अंत में ग्लेशियरों के पिघलने के दौरान, कई भूदृश्य और भूगर्भीय संरचनाएं सामने आईं, जो लंबे समय से बर्फ में दबी हुईं थीं। संयुक्त राज्य अमेरीका की टॉनटन नदी में मिला 40 टन का शिलाखंड इनमें से एक माना जाता है। डिघटन रॉक के नाम से जाना जाने वाला यह पत्थर 5 फीट ऊंचा,9.5 फीट चौड़ा और 11 फीट लंबा है। यह ग्रे-ब्राउन रंग के क्रिस्टलीय बालू से बना है। यह तराशा हुआ छहः किनारों वाली संरचना है और इसके एक तरह पेट्रोग्लायफ्स (Petroglyphs) या पत्थर पर की गई नक्काशी बनी है।

अस्तित्व:

यह अभी भी विवादास्पद विषय है कि वास्तव में यह शिलालेख के लिए कौन जिम्मेदार है। कुछ लोगों का मानना है कि इसको उन लोगों ने बनाया था, जो एक नई दुनिया की खोज में आए थे, जैसे यूरोपीय, चीनी या जापानी लोग। कुछ लोगों का मानना है कि यह मूल भारतीयों और वाइकिंग्स का काम है।

Answer Imageलेकिन सच्चाई यह है कि इसे कोई भी बना सकता है क्योंकि जब से मानव सभ्यता की शुरुआत हुई है, तब से ही लोग ऐसे शिलालेख बना रहे हैं। ये स्थानीय लोगों का भी काम हो सकता है या किसी ऐसे व्यक्ति का भी काम हो सकता है, जो वहां से कभी गुजरा हो और उसने पत्थर पर अपनी कल्पना का एक हिस्सा बनाने का फैसला किया हो। और तथ्य यह है कि यह नदी के किनारे पर मौजूद था, लगातार मृदा क्षरण होने के कारण विशेषज्ञों के लिए इस पेट्रोग्लायफ्स की तारीख का पता लगाना काफी मुश्किल हो गया है।

आधिकारिक जांच:

हालांकि, कई विद्वान इस बात से सहमत हैं कि इस चट्टान की जांच पहली बार वर्ष 1680 में शुरु हुई थी, जब रेवेरेंड जॉन डेनफ्रॉर्थ ने इसका दौरा किया था। उन्होंने इसके आधे हिस्से की एक नकल बनाई थी क्योंकि इसका आधा हिस्सा नदी के पानी के अंदर डूबा हुआ था। उन्होंने यह अनुमान लगाया था कि यह मूल भारतीयों या स्थानीय वेम्पानॉग भारतीयों का काम है और उन्होंने इसपर बनी नक्काशी की व्याख्या की थी और बताया था कि ये नक्काशी स्थानीय लोगों और नवागंतुकों के बीच की लड़ाई को दर्शाती है।

वर्ष 1689 में, रेवेरेंट कॉटन मेथर ने बताया कि यह शैतानवादियों के खोजकर्ताओं का काम है, जिनका अस्तित्व प्युरिटन (Puritans) के आने पर खत्म हो गया था। वर्ष 1783 में, कॉनग्रेगेशनिस्ट (congregationalist) मंत्री और पंडित ईर्ज स्टाइल्स ने कहा कि यह प्राचीन फ़ोनीशिया के लोगों का काम है और यह बताया कि नोर्स या प्राचीन पुर्तगाली खोजकर्ता अपनी मौजूदगी के निशान छोड़ने के लिए ऐसा करते थे।

20वीं सदी से:

एक फ्रांसीसी विद्वान, एंटोन कोर्ट डी गेबेलिन ने कहा कि चट्टान पर बने प्रतीक अतीत, वर्तमान और भविष्य को दर्शाते हैं। वर्ष 1831 तक, कई विद्वानों ने इसे चित्रलिपि से लेकर हिब्रू शब्दों और ओल्ड टेस्टामेंट से जोड़ दिया और यहां तक ही नहीं उन्होंने इसे राजा सोलोमोन के शासन से भी जोड़ा। वर्ष 1963 में, इस चट्टान को नदी के किनारे से हटाकर डिघटन स्टेट पार्क के संग्रहालय में रखा गया। वर्ष 1980 में, इसे नेशनल रेजिस्टर ऑफ हिस्टॉरिक प्लेसिस की सूची में शामिल किया गया।

निष्कर्ष:

कई वर्षों से, ये पेट्रोग्लायफ्स कई इतिहासकारों, शौकिया पुरातत्वविदों, छात्रों और पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वे इस स्थान पर उस नक्काशी को देखने जाते हैं, जो लगभग 35 औपचारिक अवधारणाओं और लगभग 1000 पुस्तकों और लेख का विषय रहा है। हालांकि इन प्रतीकों के अस्तित्व और अर्थ के बारे में अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन इस बात की पूरी तरह से पुष्टि हो चुकी है कि ये पेट्रोग्लायफ्स वास्तविक और बहुत पुराने हैं।

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