व्यक्तियों के बीच संचार की मूलभूत आवश्यकता और अपने भविष्य की पीढ़ी के लिए अपने अस्तित्व की निशानी छोड़ने की इच्छा अभी भी आवर्ती और सार्थक है। और आने वाली पीढ़ी अपने पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई विरासत को कैसे समझते हैं यह पूरी तरह से उनपर निर्भर होता है। लेकिन इनमें से कुछ हमेशा की तरह रहस्यमय ही रहती हैं।
ओमेटेप के पेट्रोग्लाइफ्स:
पेट्रोग्लायफ्स एक तरह की शैल कला है, जिसमें चट्टान की सतह को छेदा जाता है, कटाई की जाती है, नक्काशी बनाई जाती है या उसे घिसा जाता है। ओमेटेप दो ज्वालामुखियों के बीच में रेत घड़ी के आकार का द्वीप होता है। मेडेरास और कॉनसेप्सियन ज्वालामुखियों के बीच होता स्थित है। मेडेरास एक विलुप्त ज्वालामुखी है, जबकि कॉनसेप्सियन एक सक्रिय ज्वालामुखी है। ये निकारगुआ गणराज्य में निकारगुआ झील में स्थित है।
इसका नाम मूल निवासियों की भाषा से लिया गया है, जिसमें "ओमे" का अर्थ है "दो" और "टेपेट" का अर्थ है पहाड़। यह द्वीप पर्यटकों, पुरातत्वविदों और कला उत्साहियों के बीच काफी प्रसिद्ध है क्योंकि पूरे द्वीप पर पेट्रोग्लायफ्स बने हुए हैं। इस द्वीप के बारे में कई रहस्यमय लोककथाएं है, जो जिसने सबसे पहले प्राचीन लोगों को आकर्षित किया था।
रहस्य:
ओमेटेपे पेट्रोग्लायफ प्रोजेक्ट एक सर्वेक्षण था, जो वर्ष 1995-1999 के बीच मेडेरास द्वीप के आधे हिस्से पर किया गया था। सर्वेक्षण किए गए 73 जगहों में से सभी पर एक जैसे ही पेट्रोग्लायफ्स पाए गए थे। लगभग 2000 शिलाखंडों पर पेट्रोग्लायफ्स या अन्य प्रकार की कलाएं पाई गई थीं। मूल कलाकारों ने पत्थर पर नक्काशी बनाने के लिए फ्लिंट और ओब्सीडियन छेनी का उपयोग किया था, जो उच्च गुणवत्ता के थे।
हालांकि, इसके अस्तित्व की सटीक तारीक निर्धारित करने के लिए अभी तक बहस चल रही है, लेकिन फिर भी इससे कोई परिणाम नहीं निकला है। कुछ निश्चित पत्थरों पर कैलेंडर बने हैं, जो बताते हैं कि मूल निवासी 18 महीनों को जानते थे, जिसमें प्रत्येक महीने में 20 दिन होते थे, जिनको मिलाकर एक साल में 360 दिन होते थे। सबसे पुरानी पेट्रोग्लायफ्स का तिथि लगभग 1000 ईसा पूर्व है। पेट्रोग्लायफ्स, रूपांकन और मिट्टी के बर्तनों के डिजाइन को देखकर यह अनुमान लगाया जाता है कि ये 3000 साल पुराने हैं।
चित्रण:
1960 के अंतिम दशकों में की गई खुदाई में, वोल्फगैंग हाबरलैंड में पता चला कि ओमेटेप शायद 800 ईसा पूर्व या 2000 ईसा पूर्व में बसा था। पेट्रोग्लायफ्स से पता चलाता है कि मूल निवासी चोरोटेगस (Chorotegas) या निकीविरानस (Niquiranos) जैसी व्यवस्थित और उन्नत संस्कृति के थे। पेट्रोग्लायफ्स को अक्सर धार्मिक प्रतीकों के रुप में वर्णित किया जाता था और इसका आकार इंसान और जानवरों के बीच के अलग-अलग रिश्ते को दर्शाता है।
ज्यामितीय पैटर्न और आकाशीय निकाय, मानवरूपी और जानवररुपी- देवता और गोलाकार और मंडलियाँ जैसे पैटर्न दूसरे आयाम के अनंत काल और इंसान का संकेत देते हैं। कुछ पेट्रोग्लायफ्स पर बने चित्रों में कुछ असामान्य संरचनाएं शामिल हैं, पत्थरों पर सीटों या सीढ़ी की नक्काशी बनाई गई है। बॉलिंग बॉल के आकार के चेहरे वाले मानवों के चित्र बहुत कम हैं।
नक्काशी के प्रकार:
सबसे आम रूपांकन में घुमावदार और मानवरूपी चित्र जैसे सिर, छड़ी और रेखांकित निकाय शामिल हैं। कुल शिल्पकलाएं तीन आयामी भी हैं, जिसमें सबसे प्रसिद्ध बुर्जा की मूर्ति है, जिसका सिर मानव का है और बाकी धड़ मछली के आकार का है। जानवररुपी चित्र आम नहीं है, लेकिन इसमें स्तनधारी, मगरमच्छ, मेंढक, बंदर, कछुए और पक्षियाँ शामिल हैं।
विविध चित्रों में फूल, सूर्य के आकार का चित्र, कैलेंडर और क्रास के आकार का चित्र शामिल है। जिन जगहों में यह पाए गए हैं, वहां युग, पैटर्न और कारीगरी के विभिन्न प्रकार, मानचित्र और अन्य प्रतीकात्मक संचार के प्रकार मौजूद थे। लेकिन अभी भी इन पेट्रोग्लायफ्स के किसी भी सटीक व्याख्या निर्धारित नहीं है।
निष्कर्ष:
रहस्यमय होने का प्रभामंडल कभी- भी इसके निश्चित आकर्षण को कम नहीं करता है बल्कि लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। हो सकता है इन्हें पूरी तरह से कलात्मक समझ, धार्मिक या सांस्कृतिक समारोहों के लिए बनाया गया हो, लेकिन शायद हम एक न एक दिन इसके रहस्य का पता लगा ही लेंगे। लेकिन अभी तो ये हमारी जिज्ञासा का केंद्र बना ही रहेगा।